भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Wednesday, December 31, 2008

नए साल के चुटकुले

नए साल पूर्व की शाम थी. एक आदमी बार में बैठा था. उसके सामने एक पैग रखा था, पर वह उसे पी नहीं रहा था, बस दुखी होकर देखे जा रहा था. एक घंटा हो गया ऐसा चलते हुए. एक गुंडा सा दिखने वाला ट्रक ड्राइवर आया और उसका पैग उठा कर सारी शराब पी गया. यह देख कर वह आदमी रोने लगा. सब लोग इस तरफ़ ही देखने लगे. ट्रक ड्राइवर लज्जित हो गया. उसने कहा, "मैं तुम्हारे दूसरा पैग मंगाता हूँ, रो मत, मैं किसी आदमी को रोते हुए नहीं देख सकता". 
वह आदमी बोला, "नहीं ऐसी बात नहीं है, मैं तो अपने भाग्य पर रो रहा हूँ. आज का दिन मेरी जिंदगी का सब से ख़राब दिन है. पहले मैं देर तक सो गया और आफिस लेट पहुँचा. बॉस गुस्से से पागल हो गया और मुझे नौकरी से निकाल दिया. जब मैं आफिस से बाहर आया तो पता चला किसी ने मेरी कार चुरा ली है. मैं पुलिस स्टेशन गया. पुलिस ने कहा कि वह मेरी कोई मदद नहीं कर सकती. मैं टैक्सी लेकर घर पहुँचा. पता चला मेरा पर्स कहीं गिर गया है. टेक्सी वाले ने खूब गालियाँ दी और जाते-जाते एक थप्पड़ मार गया. जब में घर के अन्दर पहुँचा तो पाया कि मेरी पत्नी माली के साथ सो रही है. मैंने घर छोड़ दिया और इस बार में चला आया. शराब में जहर मिला कर उसे पीने जा रहा था कि तुम ने आकर उसे पी लिया. नया साल आने ही वाला है. समझ में नहीं आता क्या करुँ? क्या तुम्हें नए साल की मुबारकवाद दूँ?"

हे भगवान्, मैं अपने बिस्तर से बोल रहा हूँ, आज से नया साल शुरू हो रहा है, अभी तक सब ठीक है, मैंने गप्पें नहीं मारी, मैंने लालच नहीं किया, मैंने किसी को बुरा नहीं कहा, किसी औरत पर बुरी नजर नहीं डाली, किसी को धोखा नहीं दिया, किसी का अपमान नहीं किया. कुछ ही मिनट में मैं बिस्तर से बाहर आ रहा हूँ. उस के बाद मुझे तेरी मदद की जरूरत पड़ेगी. 

एक राजनीतिबाज से किसी ने पूछा कि उसकी शराब पीने के बारे में क्या राय है? राजनीतिबाज ने उत्तर दिया, "अगर तुम उस जहरीले ड्रिंक के बारे पूछ रहे हो जो दिमाग ख़राब कर देता है, शरीर का नाश कर देता है, पारिवारिक जीवन को नष्ट कर देता है, इंसान को पापी बना देता है, तो मैं उस के सख्त ख़िलाफ़ हूँ. लेकिन अगर तुम उस सोमरस के बारे में पूछ रहे हो जो नए साल का टोस्ट है, सर्दी से बचाव करता है, जिसके बिना पार्टी में जान नहीं आती, तब मैं उसका पूरा समर्थन करता हूँ. 

नया साल शुरू करने के लिए उन्होंने आई क्यु टेस्ट लिया और नतीजा निगेटिव आया. 

नए साल की पार्टी के बाद जोगिंग करने का एक नुक्सान यह है कि ग्लास से बर्फ बाहर गिर जाती है.

नए साल पर वह कोई बुरी आदत छोड़ना चाहते थे. उन्होंने शराब छोड़ने के लिए उसकी बुराइयों के बारे में सोचना शुरू किया और कुछ देर बाद सोचना छोड़ दिया. 

नए साल की पार्टी में उन्होंने अपने दोस्त से एक सिगरेट मांगी. दोस्त ने कहा, "तुमने तो नए साल पर संकल्प किया था कि धूम्रपान छोड़ दोगे". "यह सही है", उन्होंने कहा, "अभी में उस संकल्प के आधे में हूँ, मैंने सिगरेट खरीदना बंद कर दिया है". 

आप सबको नए साल की शुभकामनाएं, (यह चुटकुला नहीं है). 

Saturday, December 27, 2008

काश मेरा जन्मदिन रोज होता!!!

कल मैं आगरा में था. मेरी एक क्लाइंट कम्पनी में आडिट था. बात छिढ़ गई, चायावती के जन्मदिन पर पैसे इकट्ठे करने की. कम्पनी के मालिक ने बताया कि आगरा से २० करोड़ रुपये इकट्ठे होने हैं. औरैया में एक इंजिनियर की ५० लाख न देने पर हत्या कर दी गई, इस बात का संकेत भी दिया जा रहा है.  लोग डरे हुए हैं, पर यह नहीं समझ पा रहे हैं कि व्यापार में चल रही मंदी के समय चायावती के जन्मदिन पर देने के लिए पैसा कहाँ से लायें. अगर नहीं लाये तो कहीं हमारी हालत भी उस इंजिनियर जैसी न हो'. 

यह बात तो रही उनकी जिन्हें कहा जा रहा है, पैसा दो या मौत लो. अब उनकी बात करें जिन्हें यह पैसा देना है. कल चायावती ने अपने एक परम भक्त से कहा, कि काश मेरा जन्मदिन रोज होता!!!

Thursday, December 25, 2008

भारत में नरबली चढ़ाना अपराध है

दो दोस्त जंगल में जा रहे थे. 
अचानक सामने से भालू आ गया. 
एक दोस्त तुंरत स्पोर्ट्स शूज पहनने लगा.
दूसरे दोस्त ने पुछा, 'स्पोर्ट्स शूज क्यों  पहन रहे हो? तुम भालू से तेज नहीं भाग सकते?'
पहला दोस्त बोला, 'भालू से नहीं, तुमसे तेज भागना है'. 

जब वह किसी बिजनिस में सफल नहीं हुए तब उन्होंने राजनीति का बिजनिस शुरू किया. ख़ुद कांग्रेस में, पत्नी बीजेपी में, बेटा एसपी में, बेटी बीएसपी में, बेटे की बहू सीपीएम में. किसी ने पूछा तो बोले, ;देखें, इस बार बिजनिस सफल कैसे नहीं होता?'

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री ने फरमाया, 'अजमल कसाब नहीं, पंतुले हमारा आदमी है'.

एक आतंकवादी ने दूसरे आतंकवादी से पूछा, 'यार, यह देवघोदा और मुजराल कौन हैं और उन्हें हमसे क्या खतरा है?'
'पता नहीं यार, पर तुम क्यों पूछ रहे हो?' दूसरा आतंकवादी बोला.
'यार, भारत में एसपीजी उनकी सुरक्षा करती है', पहला आतंकवादी ठोडी खुजाता हुआ बोला.  

'भारत में नरबली चढ़ाना अपराध है', मास्टरजी ने क्लास में बताया. 
एक छात्र बोला, 'अगर यह सही है तो एक एम्एलऐ ने मुख्यमंत्री छायावती के जन्मदिन पर एक इंजिनीयर की बलि क्यों चढ़ाई?' 

एक कांग्रेसी ने फरमाया, 'पिदम्बरम महान हैं, उन्होंने एनएसजी के चार हब बना दिए हैं, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई में. अब आतंकी हमले में एनएसजी तुंरत पहुँच जायेंगे'. 
दूसरा कांग्रेसी बोला, 'इसी पिदम्बरम ने, जब वित्त मंत्री था एनएसजी की यह मांग खारिज कर दी थी'. 
तीसरा कांग्रेसी बोला, 'अबे धीरे से बोल, किसी ने सुन लिया तो मुफ्त में मारा जायेगा. तू कोई मुसलमान नहीं है जो पंतुले की तरह बच जायेगा'. 

Friday, December 19, 2008

कुछ सरकारी बयान (चुटकुले)

समय का महत्त्व और रेल मंत्रालय 
"यदि आप समय पर अपने गंतव्य पर पहुँचना चाहते हैं तब भारतीय रेल से यात्रा न करें. समय की हमारे लिए कोई कीमत नहीं है"

कर्तव्य और अधिकार वनाम उत्पाद और सेवा निर्माता
"ग्राहक को तंग करना हमारा कर्तव्य भी है और अधिकार भी"

किसके बफादार किसके गले पड़े!
मार्च १९६० में अर्जुन सिंह ने नेहरू से कहा - जीवन भर आपका और आपके परिवार का बफादार रहूँगा. इस बफादारी का ईनाम दिया देश ने. बफादारी एक परिवार की और भुगत रहा है देश.

सरकार और ग्राहक
दिल्ली सरकार ने विज्ञापन छापा, 'ग्राहक जागो', और ख़ुद सो गई.
"हम पानी और बीमारियाँ बेचते हैं" - दिल्ली जल बोर्ड
"हमने विजली का निजीकरण किया है, जनताकरण नहीं" - दिल्ली विद्युत बोर्ड 

दिल्ली 
"दिल्ली देश का सब से हरा भरा, साफ सुथरा और सुंदर शहर है" मनमोहन सिंह
(और किसी दिल्ली को मैं नहीं जानता)

"नागरिक एक दूसरे के प्रति अहिंसा का भाव रखें" पुलिस
(हिंसा हमारा अधिकार है)

मुझ से डरो, मैं वित्तमंत्री हूँ, मेरा काम कर लगाना है, अगर नहीं डरे तो समझ लेना, 'न डरने' पर भी कर लगा दूँगा।

एक मंत्री ने अपने ड्राइवर से पूछा, 'क्या तुम आँख बंद करके कार चला सकते हो?'
ड्राइवर के कहा, 'नहीं'
'अरे तुम इतना भी नहीं कर सकते. हमें देखो, हम आँख बंद करके देश चला रहे हैं' मंत्री बोले
ड्राइवर को गुस्सा आ गया. उसने आँख बंद करके कार चला दी. ............
(.......... आसपास के लोग भागे हुए आए. ड्राइवर को कार से बाहर निकाला, गले लगाया, हार पहनाये और कहा, 'आपने आज धरती का भार हल्का कर दिया'.)

Wednesday, December 17, 2008

चुटकुले इधर उधर से

एक बच्चे की शरारत से मां जब बहुत परेशान हो गई तो उस ने कहा, 'बेटे सो जा वरना गब्बर आ जायेगा'. 
बेटे ने कहा, 'मां, मुझे चोकलेट दो वरना पापा को बता दूँगा की मेरे सोने के बाद यहाँ गब्बर आता है'. 

पुलिस  ने रात के १ बजे  शराब  के  नशे  मैं डूबे  एक  आदमी  को  पकड़  कर  पूछा, 'रात  के एक  बजे  तुम  कहाँ  जा  रहे  हो? 
आदमी, 'मैं  शराब  पीने  के  दुषपरिणाम पर भाषण सुनने  जा  रहा  हूँ'. 
पुलिस, 'इतनी  रात  मैं  तुम्हे  कौन  भाषण देगा?
आदमी, 'मेरी बीवी'.

मुन्ना  भाई, 'सर्किट, बोले  तो  यह  फोर्ड  क्या  है?'
सर्किट, 'भाई, गाड़ी है'.
मुन्ना भाई, 'तो फिर यह ऑक्सफोर्ड क्या  है?
सर्किट, 'बोले  तो, सिंपल है  भाई, इंग्लिश में बैल को ओक्स कहते हैं, इसलिए ऑक्सफोर्ड बोले तो बैलगाडी.'

एक दुकान के बाहर लिखा था: 'इन्सानों की तरह बात करने वाला कुत्ता बिकाऊ है.'
एक आदमी दुकानदार से जाकर बोला: 'मैं उस कुत्ते को देखना चाहता हूं...' दुकानदार ने कहा: 'साथ के कमरे में बैठा है, जा कर मिल लो।'
ग्राहक उस कमरे में गया। कुर्सी पर एक हट्टा-कट्टा कुत्ता बैठा था. पूछा: 'क्यों भई, तुम यहां क्या कर रहे हो?'
कुत्ते ने बताया: 'कर तो मैं बहुत कुछ सकता हूं, लेकिन आजकल इस दुकान की रखवाली करता हूं. इससे पहले अमेरिका के जासूसी महकमे में काम करता था और कई खूंखार आतंकवादियों को पकड़वाया... फिर मैं इंग्लैंड चला गया जहां पुलिस के लिए मुखबरी करता था. एक साल बाद यहां आ गया.'
उस आदमी ने दुकानदार से पूछा: 'इतने गुणवान कुत्ते को आप बेचना क्यों चाहते हैं?'
'अव्वल नम्बर का झूठा है, 'जवाब मिला.

Wednesday, December 10, 2008

कौन ज्यादा परेशान है?

दिल्ली के चुनावों में जनता ने फ़िर कांग्रेस को चुन दिया और चुना भी काफ़ी जोर शोर से. जनता ने तो अपना काम कर दिया, पर राजनीतिबाजों को परेशानी में डाल दिया. भाजपा इसलिए परेशान है कि हार क्यों गए. कांग्रेस इसलिए परेशान है की इतनी सारी सीटों पर जीत कैसे गए. 

भाजपा की परेशानी इतनी बड़ी नहीं है.  बहुत सारे कारण हैं इस हार के. ग़लत मुद्दों पर ज्यादा जोर. सही मुद्दों पर कम जोर. 'कांग्रेस महंगी पड़ी' का नारा ख़ुद भाजपा पर महंगा पड़ गया. 

कांग्रेस की परेशानी बाकई परेशान करने वाली है. कांग्रेस जानती है कि उसकी सरकार ने पिछले ५ वर्षों में बहुत गड़बड़ की है. विकास की जो बात चुनाव प्रसार में कांग्रेस ने की, वह ख़ुद कांग्रेस को झूटी लग रही थी, पर यह जनता को क्या हो गया कि कांग्रेस का यह झूट उस ने सच मान लिया. पाँच साल तक भुगता बहुत कुछ और यकीन कर लिया कि कुछ नहीं भुगता. वाह री दिल्ली की जनता.  

कल मैं ऑटो से आ रहा था. खूब झटके लग रहे थे. ड्राइवर भी परेशान हो गया था, झटके खा-खा कर. गाली देने लगा दिल्ली की सड़कों को, सरकार को. मैंने कहा अब क्या गाली देते होते हो, चुन तो तुमने उसी सरकार को लिया. चुप हो गया बेचारा. फ़िर कुछ देर बाद धीरे से बोला, फ़िर साली गलती करदी. मैंने कहा अब क्या फायदा? पाँच साल भुगतो अब यह गलती. पाँच साल बाद फ़िर यही गलती करना. दिल्ली के लोगों को गलती करने और भुगतने की आदत हो गई है.

कुछ दिन बाद सब सेट हो जायगा. न भाजपा परेशान रहेगी और न कांग्रेस. आने वाले लोकसभा चुनाव में लग जायेंगे दोनों. हमेशा की तरह परेशान रहेगी, दिल्ली की आम जनता.  

Tuesday, December 9, 2008

चार बीबियाँ घर में, मियां अस्पताल में

एक नौजवान का दिमागी संतुलन बिगड़ गया और उसे अस्पताल में भरती कराना पड़ा. वह अपने तलाकशुदा मां-बाप से मिलने को तैयार नहीं था. हुआ यह कि उसके पिता ने अपनी बात ऊंची रखने के लिए उसकी शादी अपने रिश्तेदारी में अपनी पसंद की लड़की से करा दी. जब उस की मां को यह पता चला तो उसे बहुत गुस्सा आया. उसने भी बेटे की शादी अपनी रिश्तेदारी में अपनी पसंद की लड़की से करा दी. मामला बराबर हो गया.

पिता को पता चला तो वह भड़क गया, 'उस औरत की यह हिम्मत कि मुझसे बराबरी करे'. तुंरत उसने बेटे की एक और शादी करवा दी. अब मां की बारी थी. उस से पिता की यह बढ़त बर्दाश्त नहीं हुई. उसने अपनी रिश्तेदारी में एक लड़की पसंद की और बेटे की चौथी शादी करवा दी. बेटा मां-बाप का यह प्यार और ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर सका. अब वह अस्पताल में है और मां या बाप किसी का भी नाम सुनने पर भड़क उठता है. 

Thursday, December 4, 2008

बेचारा पप्पू

पप्पू - सोच रहा हूँ नाम बदल लूँ. 
गप्पू - क्यों इस नाम में क्या बुराई है?
पप्पू - पहले नहीं थी, अब हो गई है. इस साले चुनाव आयोग को भी यही नाम मिला था. मैंने वोट डाला था, फ़िर भी लोग मुझे रोक कर पूछते हैं कि आपने वोट क्यों नहीं डाला?
 
पति - वधाई हो,  आज दिल्ली में मतदान है.
पत्नी - इस में वधाई की क्या बात है?
पति - अरे भई, पाँच साल में यह मौका आता है. आज के दिन ऐसा महसूस होता है कि हम भी कुछ हैं.
पत्नी - यह तुम्हें ही महसूस होता है या कोई दूसरा भी यह महसूस करता है कि तुम भी कुछ हो?
पति - पहले तो ऐसा लगता था कि दूसरे भी यह महसूस करते हैं कि हम कुछ हैं, भले वह एक दिन के लिए ही ऐसा महसूस करते हों. पर इस बार तो ऐसा कुछ हुआ ही नहीं. आँखें तरस गईं, कान तरस गए - कोई आएगा, घंटी बजायेगा, हम तने हुए दरवाजा खोलेंगे,  वह हाथ जोड़ कर और कुछ झुक कर कहेगा, 'अपना अमूल्य वोट हमें ही दीजियेगा'. पर इस बार तो यह सपना सपना ही रह गया. कोई नहीं आया इस बार. 
पत्नी - हाँ यह बात तो है. मतदाता का इतना अपमान तो कभी नहीं हुआ. मत दो किसी को वोट इस बार. 
पति - वोट नहीं दूँगा तो चुनाव आयोग मुझे पप्पू कहेगा. 
पत्नी - हाँ यह बात भी है. मतदाता तो बेचारा हर तरफ़ से फंस गया. वोट दें तो दें किसे, कोई भी तो वोट के लायक नहीं  है. वोट न दो तो लोग पप्पू कहेंगे. 
पति - इस से तो अंग्रेजों की गुलामी अच्छी थी. गुलाम थे गुलाम कहलाते थ. अब कहने को तो आजद हो गए हैं, पर वोट तक डालने की तो आजादी नहीं है. यह सीट आरक्षित है, यानी अब कुछ लोगों में से ही अपना प्रतिनिधि चुन सकते हैं. रमाकांत पंडित हैं, पूरी तरह योग्य हैं, पर उन्हें नहीं चुन सकते क्योंकि वह आरक्षित वर्ग के नहीं हैं.
पत्नी - हाँ यह बात तो है. आजादी भी कुछ लोगों के लिए आरक्षित हो गई है. बाकी तो सब अब भी गुलाम हैं. 
   

Monday, December 1, 2008

सरकार ने सख्त कदम उठाये

त्रियंका - मॉम अब आपको जरूर कुछ करना चाहिए. 
नोनिया - क्यों बेटी, इस बार क्या खास बात हो गई?
त्रियंका - इस बार उन्होंने उस होटल पर अटेक कर दिया जिस में हम जैसे खास लोग ठहरते हैं. 
नोनिया - अरे हाँ, यह तो मैंने सोचा ही नहीं. 
काहिल - यस् मॉम, यह तो हद कर दी इन आतंकिओं ने. इनकी हिम्मत इतनी हो गई कि आम आदमियों के साथ-साथ खास आदमिओं पर भी अटेक करने लगे. इस तरह तो हमारा बाहर निकलना ही बंद हो जायेगा. 
नोनिया -  तुम सही कहते हो. बेटी, फोन लगाओ तनमोहन अंकल को. 
त्रियंका- हेलो अंकल, मॉम बात करेंगी.
नोनिया - हेलो तनमोहन, क्या कर रहे थे?
तनमोहन - पांय लागूं मैडम, बस जरा आँख लग गई थी.
नोनिया - तुम बहुत सुस्त हो गए हो, अब दोपहर में भी सोने लगे.
तनमोहन - क्या करुँ मैडम, काम तो कुछ है नहीं. 
नोनिया - ठीक है, पर आज कल तो जगे रहो. मुंबई में आतंकी हमला हुआ है. मीडिया को भनक मिल गई तो मुश्किल हो जायेगी. तानिशेक ननु को सफाई के बयान देने पड़ेंगे. 
तनमोहन - जी मैडम, अब ध्यान रखूंगा. क्या आज्ञा है? 
नोनिया - भई इस बार कुछ करना होगा. त्रियंका नाराज हो रही है. इस बार तो आतंकियों ने उसके फेवरेट होटल पर ही अटेक कर दिया है. इस साल नए साल की पार्टी वह इस होटल में करना चाहती थी.
तनमोहन - शेशमुख ने तो पहले ही इलीट फोर्स लगा दी है. सारे इलीट सिटीजन इस बात से खुश हैं कि उनकी रक्षा इलीट फोर्स कर रही है. त्रियंका बेटी अब और क्या चाहती हैं. क्या लिलानी को फोन कर दूँ कि आपको यह बात बुरी लगी है. आम आदमियों तक तो मारा-मारी ठीक है, खास आदमियों की तरफ न देखें. 
नोनिया - यह तो करो, पर कुछ लोगों को लटकाना भी होगा. पाटिल से कहो अब आराम करे. इस बार पब्लिक में नाराजी कुछ ज्यादा ही है. हर बार से कुछ ज्यादा करना होगा इस बार. 
तनमोहन - आप सही कह रही हैं मैडम. यह आम आदमी भी अजीब हैं, ख़ुद मर रहे थे तो कम नाराज थे, कुछ खास आदमी मर गए तो ज्यादा नाराज हो गए. 
नोनिया - यह आम आदमी मेरी समझ में भी नहीं आए, पर हमें कुर्सी पर तो यह लोग ही बैठाते हैं. इनके लिए कुछ करो मत पर कहते रहो. इस बार कुछ ज्यादा कहो और करने का नाटक भी करो. मैं कार्य समिति की बैठक बुलाती हूँ. तुम सब दलों को इकठ्ठा करो. मैं त्रियंका से सलाह करती हूँ. कुछ ऐसा करना होगा कि आतंक पर हम कुछ कर रहे हैं ऐसा लगे. अगले साल चुनाव भी तो जीतना है. 
तनमोहन - आप सही कह रही हैं मैडम. मैं काम पर लगता हूँ. पांय लागूं मैडम.
निनिया - सुखी रहो. कुर्सी पर जमे रहो. 
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